अभिनेत्री मीना कुमारी के दुखद जीवन की कहानी, पिता छोड़ आये थे अनाथालय

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मीना कुमारी हिंदी सिनेमा की सबसे सफल और आकर्षक छवि वाली एक्ट्रेस में से एक थी। मगर उनकी जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव आए। जिनके कारण वह पूरी तरह से टूट गई। पैदा होते ही पिता का पत्थर दिल रवैया, करियर के मुकाम पर जीवनसाथी की बेवफाई और हर कदम पर अग्नि परीक्षा ने मीना कुमारी को शराब में डूबने को मजबूर कर दिया। उन्होंने जन्म से लेकर जीवन के अंतिम पड़ाव तक कई दुख देखे। उनके ऊपर निकाह नाम से बायोपिक भी बनाई गई। जो उनकी दुख भरी दास्ता को पर्दे पर दिखती है।

मीना कुमारी के बारें में 

मीना कुमारी का जन्म 1 अगस्त 1933 को काफी गरीब परिवार में हुआ था। जन्म होते ही उनके पिता ने मीना को अनाथ आश्रम में छोड़ दिया। क्योंकि उन्हें लड़का चाहिए था। मगर उनकी मां का रो-रोकर काफी बुरा हाल हो गया। जिसके बाद अनाथ आश्रम से उन्हें वापस लाया गया।

आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण मीना कुमारी को केवल 6 वर्ष की उम्र में ही काम करना पड़ा। उन्होंने 1939 में विजय भट्ट की फिल्म लेदरफेस में पहला किरदार निभाया। इस फिल्म में उन्होंने महजबी की भूमिका निभाई। जो उनका असली नाम भी था। इसके बाद उन्होंने एक के बाद एक कई टीवी शोज किये. जो मूल रूप से धार्मिक छवि में तैयार किए जाते थे। जिसमें उनका किरदार हिंदू देवी का होता था।

ढाई साल तक चली फिल्म 

साल 1952 में आई फ़िल्म बैजू बावरा ने मीना कुमारी को वास्तविक रूप से पहचान दिलाई। यह फिल्म दर्शकों को इतनी पसंद आई कि इसे करीब ढाई साल तक लगातार थिएटर में दिखाया गया। इन्होंने 1954 में फिल्म फेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री अवार्ड भी हासिल किया। इसके बाद वह भारत की पहली अभिनेत्री बनी जिसको इस अवार्ड से सम्मानित किया गया है। इन्होंने कई बेहतरीन फिल्में दी है। जिनमें से कुछ फिल्मों का नाम नीचे सूचीबद्ध किया गया है।

क्रम संख्याफिल्म का नाम 
1.बैजू बावरा 
2.पाकीज़ा 
3.साहिब बीवी और गुलाम 
4.मेरे अपने 
5.काजल 

12 साल का रिश्ता टूट 

1951 में तमाशा फिल्म के शूटिंग सेट पर मीना कुमारी की मुलाकात उस जमाने के सबसे बड़े फिल्मकार कमाल अमरोही से हुई। समय के साथ दोनों एक दूसरे के अच्छे दोस्त बन गए और आगे चलकर उन्होंने शादी भी कर ली। मीना कुमारी के साथ कमाल अमरोही की यह तीसरी शादी थी। जो 12 सालों के लंबे समय के बाद टूट गई। कहा जाता है, कि कमाल अमरोही धर्मेंद्र से प्यार कर बैठी थी। जिसके चलते उसकी कमाल से आए दिन लड़ाई होती थीं। एक दिन लडाई इतनी बढ गई की कमाल ने मीना को तलाक दे दिया। 

मगर कुछ दिनों बाद ही कमाल को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने मीना को फिर से शादी करने के लिए मना लिया। इस्लामधर्म के मुताबिक उनकी दोबारा शादी हलाला के बाद ही हो सकती थी। जिसके लिए कमाल ने अपने दोस्त के पिता के साथ मीना का हलाला करवाया। एक महीने बाद मीना और कमाल का दोबारा विवाह हुआ। हालांकि हलाला के बाद मीना कुमारी बुरी तरह से टूट गई। 

मीना कुमारी ने हलाला के बाद अपनी डायरी में लिखा कि “धर्म के नाम पर मुझे दूसरे मर्द को सोपा गया तो मुझ में और वैश्या में क्या फर्क रह गया” उन्होंने अपने जीवन के अंतिम पड़ाव में अपने हाथों से लिखी डायरी गुलजार को थमा दी। जिस पर आगे चलकर एक फिल्म तैयार की गई। जिसको निकाह नाम दिया गया।

मीना ने अपने अकेलेपन को दूर करने और दुखों को कुछ समय के लिए भूलाने के लिए अपने आप को शराब में डुबाया। उनको शराब की काफी लत लग गई थी। वह काफी दरिया दिल और नेक दिन अभिनेत्री थीं। जिन्होंने 31 मार्च 1972 को दुनिया को अलविदा कहा।

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